सही मायनों मे क्या ऐसा है ? देश मे इज्जत के नाम पर कत्ल और भी ज्यादा और सम्मान के साथ किये जाने लगे है और अभी भी छोटे मजदूरों के रूप मे हमें बच्चो के दर्शन हो जाते है. यह तरक्की की है हमने पिछले 64 सालो मे, घरेलु उपयोग की वस्तुओ मे इतनी बढ़ोतरी हुई है की दैनिक आय वाले बेबस हो गए है दो जून की रोटी का प्रबंध करने मे. उन्होंने नरेगा की भी पुरजोड़ तारीफ की पर क्या वाकई मे नरेगा मे कार्यरत मजदूरों को बिना दान्धली के पैसे मिल पाते है? नहीं
यह है हमारे देश की तरक्की और सरकार अपनी पीठ ठोकना नहीं भूल रही है....................................

achha likha hain aapne
ReplyDeleteबिलकुल सही कहा आपने .. मुद्दे की बात..
ReplyDeletegood one...keep it up.
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