Monday, August 16, 2010

वाकई हम आज़ाद देश मे रहते है

कल देश को आजाद हुए 64 साल हो गए. और देश के हर राज्य और जिले मे इसका नजारा भी बखूबी देखने को मिला. आजाद हवा मे साँस लेना वाकई एक खुबसूरत अहसास है जिसे हम शब्दों मे बंया नहीं कर सकते है. पर क्या हम वाकई सही मायनों मे आज़ाद है यह सोचने वाली बात है. क्यूंकि डॉ मनमोहन सिंह का देश के नाम कल का संबोधन कह रहा था की हमारे देश के हर नागरिक को जीने की आज़ादी है और हमने बाकि सरकारों के मुकाबले विकास पर काफी ध्यान दिया है और उचित कदम उठाया है.


सही मायनों मे क्या ऐसा है ? देश मे इज्जत के नाम पर कत्ल और भी ज्यादा और सम्मान के साथ किये जाने लगे है और अभी भी छोटे मजदूरों के रूप मे हमें बच्चो के दर्शन हो जाते है. यह तरक्की की है हमने पिछले 64 सालो मे, घरेलु उपयोग की वस्तुओ मे इतनी बढ़ोतरी हुई है की दैनिक आय वाले बेबस हो गए है दो जून की रोटी का प्रबंध करने मे. उन्होंने नरेगा की भी पुरजोड़ तारीफ की पर क्या वाकई मे नरेगा मे कार्यरत मजदूरों को बिना दान्धली के पैसे मिल पाते है? नहीं

यह है हमारे देश की तरक्की और सरकार अपनी पीठ ठोकना नहीं भूल रही है....................................


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