Thursday, March 25, 2010

क्या वाकई प्यार ,सेक्स और धोखा है -2


जरा सोचिये की अगर परिवार का माहोल बंधन युक्त न हो कर खुशनुमा और दोस्ताना हो तो क्या युवा पीढ़ी घर के बाहर इस तरह छुपे कैमरे की पहुच मे इस तरह से आते रहेंगे. शायद नहीं क्यूंकि तब उन्हें यह पता होगा की परिवार की सुरक्षा और विश्वास उनके साथ है. बाकि सब दिखावा है. अभी तक हमारे ईद गिद अगर कोई घटना होती है तो उसका कसूरवार सिर्फ महिलाओ को बनाया जाता है. भले जुर्म मे लड़का बराबर का भागीदार हो पर उसकी इज्जत पर कभी आंच नहीं आती है. उसकी बदनामी नहीं होती है क्यूंकि वो लड़का अहि हमें इस भेदभाव पर काबू पाना ही होगा वरना एकता और उस जैसे कई और लोग इसे भारतीय समाज का सच बता कर अपनी दूकान चलते रहेंगे और इन घटिया चीजो को देखा कर युवाओ को बरगलाते रहेंगे. हमारे संस्कृति का पतन पश्चिमी विचार धरा से प्रभावित हो कर इतना नहीं होगा जितना इन जैसे लोगो की सोच से होगा. आप जरा यह सोचिये चाहे लड़का हो या लड़की अगर उससे जाने अनजाने कोई गलती होती है तो क्या वो अपने परिवार को बता सकता है नहीं क्यूंकि उसके मन मे यह डर बैठा होता है की उनकी स्वतंत्रा छीन जायेगे और उन्हें बेरियो मे बाँध दिया जायेगा. इस डर से उनका शोषण होता चला जाता है घर के बाहर और भीतर हर स्तर पर जब घर ही शोषण की शुरुआत कर दे तो बाहर क्यों शोषण नहीं होगा. और क्यू कोई mms और कोई video क्लिप नहीं बनेगी. सबसे पहले हमे अपने संस्कारों को मजबूत करना होगा विश्वास की नीव रख कर. तब कोई भी तकनीक आ जाये कुछ भी नहीं बिगाड़ सकती. जरा सोचिये सिर्फ युवा ही नहीं समाज भी क्यूंकि प्यार कभी धोखा नहीं हो सकता है और जहा धोखा हो वोह प्यार नहीं आ सकता है.

Blogvani.com

4 comments:

  1. मैं सोच रहा हूँ..... सोच रहा हूँ......बार बार सोच रहा हूँ....
    ....
    ...यह पोस्ट केवल सफल ब्लॉगर ही पढ़ें...नए ब्लॉगर को यह धरोहर बाद में काम आएगा...
    http://laddoospeaks.blogspot.com/2010/03/blog-post_25.html
    लड्डू बोलता है ....इंजीनियर के दिल से....

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  2. संस्कारों की नींव मजबूत करना, भरोसा विकसित करना बहुत जरूरी है। प्यार करे सेक्स की अहमियत स्वत कम हो जाएगी।

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  3. acha likha hai.......subject ka chunav bhi kabiletarif hai.

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  4. yeh to koi nai bat nahin hai sada se hota aa raha ahi
    zurm karne wale khule aam ghumte hain sahane wale apman aur dansh jhelte ahin

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