काफी लम्बे समय से कुछ लिख नहीं पाई इसका मुझे मलाल है, काम मे काफी वयस्तता रही है. पर जब से छोटे परदे की महारानी एकता कपूर और दिवाकर बनर्जी की फिल्म प्यार धोखा और सेक्स की बाते शुरू है एक बार फिर से बाज़ार की गर्माहट बढ़ गई है. कारण इस फिल्म का विषय पर लोग चर्चा करने से बचते है और युवा पीढ़ी को कोसना शुरू कर देते है उनकी सारी नैतिकता की दुहाई युवाओ से शुरू होती है और वही ख़तम हो जाती है. और लगे हाथ हम लग जाते है सुचना क्रांति को गरियाने . पर सोचिये क्या समाज मे होने वाली इन घटनाओ के लिए सिर्फ युवा पीढ़ी और नई क्रांति ही जिम्मेदार है. कुछ लोगो का मत है की आज का युवा सिर्फ मस्ती और रोमांच की दुनिया मे जीना चाहता है और सबसे पथ से भटकी हुई है. पर कौन है जो एकता और दिवाकर जैसे लोगो को इन युवाओ के कंधे पर रख कर बंदूक चलाने की इजाजत देते है आप और हम. क्यूंकि इन लोगो को संबंधो का तमाशा बनने मे मज़ा आता है, सेक्स जैसी चीज़ जो निहायत किसी का निजी मामला होता है और आपसी समझ पर आधारित है उसे कुछ लोगो की विकृत मानसिकता का शिकार बनते ज्यादा समय नहीं लगता है. इसका कारण है की शुरू से ही समाज मे लडकियो को सिर्फ उत्पादन की वस्तु समझा जाता है आप किसी भी घर मे देखो आपको मेरी कही बात का सबूत मिल जायेगा परिवार की इज्जत और मर्यादा को निभाने का सबक लड़कियो को घुट्टी की तरह पिलाया जाता है और लड़को को घर के बाहर इधर उधर मुह मरने की खुली छुट होती है उनके लिए अपनी बहन घर की इज्जत और दुसरो की बहन उपयोग की वस्तु. आखिर कौन है इन सब का जन्मदाता, यह दकियानुशी समाज, समाज के ये कथित ठेकेदार और परिवार का बंधन युक्त माहोल
जारी..........................................................
Shweta ke vichar uske naam ki tarah hi shwet aur spasht hain... Krantikari sipahi ko meri hardik shubhkamnaen... Prabhat
ReplyDeletesahmat ! naman ! theek kaha .
ReplyDeleteEk krantikaree lekh se apne hindi blog jagat men pravesh kiya hai---apka hardik svagat hai---main apkee baton se sahamat hoon.
ReplyDeletePoonam
hmmmm, mudda sahi aur aakhir ka sawal bhi,
ReplyDeletechaliye aapne jaari kaha hia to aage ka intejar karte hain...
ब्लाग जगत में आपका स्वागत है..!लिखिए और साथ ही में पढ़ते भी रहिये!मेरी शुभकामनायें!!!
ReplyDeleteअरे डियर, पहले तो फिल्म में वही दिखाया गया है जो आजकल समाज में हो रहा है, भले ही ऐसा विषय चुनने की एक बड़ी वजह है इसका मसालेदार होना, और ये केवल फिल्मों पर ही नहीं जनसंपर्क के हर माध्यम पर लागू होता है, चाहे वो लेख हो, उपन्यास हो, किताब हो या ब्लॉग, अगर केवल शीर्षक में भी 'सेक्स' शब्द दिख जाए तो उसे देखने या पढ़ने के लिए लालायित हो जाते हैं। हमारे समाज का ढांचा ही ऐसा है। सदियों पहले से ऐसा होता आया है। नारी को केवल भोग की वस्तु या बच्चा पैदा करने की मशीन समझा जाता रहा है। राजा जी को कोई लड़की पसंद आ जाती थी वो उससे तुरंत विवाह का प्रस्ताव रख देते थे, उनसे सब्र भी नहीं होता था, अगर कहीं जंगल-वंगल में मिले तो वहीं गंधर्व विवाह किया और 'निबटा दिया', शंकुतला-दुष्यंत को ही देख लो, बाद में जब वो बेचारी दुष्यंत को याद दिलाने गई तो जनाब को याद ही नहीं आया ! अकबर ने तो पूरा का पूरा मीना बाजार ही बसा रखा था।...वही आज आधुनिकत का आवरण लपेटे हो रहा है, पहले दबे-छुपे होता था, कहीं किसी को पता न चल जाए, और धोखा देने का अधिकार केवल लड़कों को होता था, वही अब थोड़ा मॉडर्नाइज हो गया है, खुल्ल-खुल्ला सब कुछ !...और धोखा देने का हक अब लड़कियों ने छीन लिया है....इतिहास गवाह है और मानव स्वभाव भी, जिस चीज को जितना छुपाया जाता है उसे देखने, करने की और भी ज्यादा इच्छा या कहें उत्कंठा होने लगती है, इसी स्वभाव की वजह से ऐसा हो रहा है...और फिल्म में वही दिखाया जा रहा है तो इसमें गलत है क्या है जी !
ReplyDeleteSashakt aalekh hai..aainda intezaar rahega...anek shubhkamnayen!
ReplyDeleteजमाना तेजी से बदला है। पहले प्यार, सेक्स और धोखा की बात सिर्फ और सिर्फ पुरुषों पर लागू होती थी, लेकिन अब ये बात पुरुष-महिला दोनों पर लागू हो रही है। इज्जत को जो लोग सिर्फ लड़की से जोड़कर देखते हैं वो गलत हैं। कुकर्म करने वाला या वाली कहीं भी इज्जत की पात्र नहीं हो सकती। ये अलग बात है कि सेक्स के चक्कर में लड़की मां बन गई तो सारा भेद खुल जाता है वहीं लड़के का भेद भेद ही रह जाता है।
ReplyDeleteAnek shubhkamnayen! Aapke lekhanka intezaar rahega!
ReplyDeleteइस नए चिट्ठे के साथ हिंदी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
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