Sunday, April 4, 2010

सानिया-शादी , मीडिया और टेनिस

पिछले कुछ दिनों से सानिया मिर्ज़ा और शोयब मालिक की ख़बरे समाचारों की सुर्खिया बटोर रहे है. 24 *7 के मानको की कसौटी पर खरा उतरने की दुहाई देने वालो को भी खबरों का टोटा पड़ गया है जिधर देखो सानिया और शोयब की तस्वीरे चमक रही है. लगता है जैसे भारत मे सिर्फ सानिया और उसका परिवार ही रहते है. देश की मीडिया ही नहीं सारे छुट भैया टाइप गली मोहल्ले की नेता भी इस मुद्दे को उठाए हुए है. चलो इसी बहाने उनकी तरफ इन खबरों के और TRP के भूखे लोगो की निगाह जाएगी. मै परेशान हू की क्या देश मे, और किसी भी खबर की हैसियत इतनी ख़राब है, या जनता के लिए जरुरी नहीं है की है यह बताना की फला जगह पर दुर्घटना हुई है, या देश के बेटे ने नासा के लिए चयनित हो कर देश का नाम रोशन किया है. पर नहीं दिखानी है तो सिर्फ सानिया की शादी और फ़िज़ूल के कोरे कयाश. कोई मुझे यह बताये की सानिया और शोयब मालिक के शादी के बाद सानिया देश का नाम किस तरह से रोशन करने वाली है. और भारत को क्या हाशिल होगा उसके पारिवारिक कामयाबी से, साथ ही दूसरा सवाल मै गीदर भबकी देने वाले बूढ़े शेर बाला साहेब ठाकरे से पूछना चाहती हू की शाहरुख के बयान पर उन्हें देश द्रोही करार देने वाली जबान इस बार क्यू नहीं आग उगल रही है, क्या आग ख़तम हो गई है या फिर हिम्मत नहीं है कुछ बोलने की, जब एक हिन्दुस्तान की लड़की की शादी एक पाकिस्तानी से होने जा रही है. शोयब भी खेल से तालुकात रहता है और साथ की उसके ऊपर एक भारतीय लड़की के साथ शादी करने का भी आरोप लगा हुआ है. क्यू नहीं इस बार बाप, बेटे और भतीजा जहर बोल रहे है क्यू ख़ामोशी की चादर ओढ़ ली है यह कह कर की यह सानिया का निजी मामला है. खबर इतनी बड़ी हो गई है की कुछ चुनिन्दा अखबारों के संपादको को सानिया की शादी का मामला बड़ा लग रहा है न की ये, गृह मंत्री चिदंबरम देश की सुरक्षा निति को बदलने की कोशिशो मे लग गए है. एडिटोरिअल मे बजाय इसके सानिया और सोहराब की शादी को भारत पकिस्तान के बीच के रिश्ते सुधारने की कोशिशो की पहली कड़ी बताया है. क्या सानिया कोई शांति दूत है जो अपने कुर्बानी दे कर दो देशो के तल्ख़ हो चुके रिश्तो को सुधारने की राह पर चल रही है. देश मे और भी कई होनहार खिलाड़ी है जिन्होंने देश के लिए अभाव को झेल कर मेडल दिलाया है न की हैदराबाद की इस बाला की तरह मीडिया के कंधो पर चढ़ कर सुर्खिया बटोरी है. इसी भारत का एक होनहार खिलाड़ी सुशील कुमार जब उपेक्षाओ का शिकार होता है (कुश्ती) तो उस बेचारे को मीडिया मे इतनी जगह नहीं मिलती क्यूंकि वो सुर्खिया बटोरना नहीं जानता है. और न ही मुसलमान है जिसके लिए सब आगे आ जाये, न ही वो वोट दिलवा सकता है. पर यह सब सानिया बखूबी कर सकती है क्या सानिया को यह नहीं पता था की शोयब की पिछली जिंदगी से जो जिन्न बाहर आया है उसका पीछा खबरों के भूखे कर रहे होंगे. और जिस तरह शोयब सानिया के घर मे प्रकट होता अहै मीडिया के सामने क्या वो सोची समझी रणनीति का हिस्सा नहीं था. जिसे यह चैनल वाले एक्सक्लुसिव बता कर चला रहे है क्या वाकई वो एक्सक्लुसिव है या फिर ........................................सोचो ? क्यूंकि सानिया टेनिस खेलने आई थी पर बाद मे ऐसा लगा की खेल से ज्यादा उसका ध्यान सिर्फ इस बात पर है की वोह दिन भर मे कितनी बार और कौन से add मे दिखती है. इसलिए जरा गंभीरता से सोचो ................?

1 comment:

  1. हूं....मुद्दे की बात. खोती हुई लोकप्रियता हासिल करने का सबसे आसान तरीका- विवादित हो जाओ.

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